सीए कपिल मित्तल
आम बजट (Union Budget 2023) में अब कुछ घंटे बचे हैं। इस बजट पर हर वर्ग टकटकी लगाए देख रहा है। खासकर मिडिल क्लास और नौकरीपेशा वर्ग को कई सारी उम्मीदें भी हैं। पहले रिवाइज्ड आईटीआर (ITR) निर्धारण वर्ष के अंत से एक साल तक भर सकते थे, लेकिन मौजूदा सरकार ने निर्धारण वर्ष के अंत तक भरने का नया प्रावधान कर दिया। फिर इसे घटाकर निर्धारण वर्ष के 31 दिसंबर तक कर दिया। जिससे करदाताओं को तमाम दिक्कतें हो गईं। खासकर कोरोना काल में जब सब चीजें पिछड़ी तो इस पर भी असर पड़ा। फिर सरकार 2022 के बजट में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अपडेटेड आईटीआर फाइल करने का प्रावधान 139(8A) लेकर आई, लेकिन उसकी शर्ते इतनी सख्त हैं कि लोग उसका कोई लाभ ही नहीं ले पा रहे हैं।
जबकि मूल कारण अपडेटेड आईटीआर का था। किन्हीं कारणवश जो लोग अपना आईटीआर नहीं भर सके या कुछ गलती कर बैठे, उनकी आय का निर्धारण ठीक से नहीं हो पाया। वह सभी इसका लाभ ले सकें। लेकिन आयकर धारा 139(8A) से अब लोग एक तरीके से दंडित हो रहे हैं। सरकार को चाहिए कि पुराने आयकर रिवाइज्ड रिटर्न संबंधित प्रावधान धारा 139(5) अथवा 139(4) से मिलता-जुलता अपडेटेड आईटीआई का प्रावधान लाए।
2. जीएसटी (GST) में बदलाव की सख्त जरूरत है। पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाया जाए अथवा पेट्रोल, डीजल, सीएनजी इत्यादि पर अतिरिक्त सीमा शुल्क, उत्पादन शुल्क, वैट आदि को घटाने की सख्त जरूरत है। जिससे महंगाई घटे और ऑटोमोबाइल सेक्टर और उत्पादन सेक्टर को राहत मिले। सरकार चाहे तो वित्तीय घाटा कुछ आयकर बढ़ाकर पूरा कर सकती है। इसका एक विकल्प अति धनवान (सुपर रिच) पर टैक्स हो सकता है।
3. इन दिनों पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में महंगाई की हर तरफ चर्चा है। भारत में भी पिछले कुछ दिनों में खाने-पीने की चीजों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। गेहूं, आटा, सरसों तेल जैसी चीजों की कीमतें बढ़ी हैं और इस पर कंट्रोल सख्त आवश्यक है। ऐसे में आटा, तेल, दूध, दही, ब्रेड, दाल, चावल जैसी खाने-पीने की चीजों पर जीएसटी को खत्म करने की सख्त जरूरत है।
4. नेशनल स्क्रैपिंग पॉलिसी (Vehicle Scrappage Policy) जो कि बजट 2021 में प्रस्तावित थी, उसके द्वारा सरकार ने 10-15 साल पुराने ऐसे डीजल-पेट्रोल वाहनों को चलाने की अनुमति का प्रावधान किया था, जो कि फिटनेस टेस्ट में सही पाए जाते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के 10-15 साल पुराने डीजल-पेट्रोल वाहनों के दिल्ली-एनसीआर में प्रतिबंध के आदेश के चलते यह पॉलिसी दिल्ली एनसीआर में लागू नहीं हो पाई है।
खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) कह चुके हैं कि सरकार की मंशा यही थी कि पॉलिसी पूरे देश में लागू हो। चूंकि अभी दिल्ली में यह पॉलिसी लागू नहीं है, ऐसे में उन वाहन चालकों को परेशानी हो रही है, जिनकी गाड़ियां 10-15 साल पुरानी तो हैं, लेकिन फिट हैं और प्रदूषण नहीं फैला रही हैं। सरकार को चाहिए कि बजट इस विवाद पर प्रावधान लाए। इससे कार चालकों के अलावा छोटो-मध्यम वर्ग की कार पार्ट्स उत्पादन कंपनियों, फर्म, कार चालक टैक्सी चालकों को लाभ होगा।
(सीए कपिल मित्तल टैक्स और उद्योग संबंधी मामलों के विशेषज्ञ हैं)