विराट कोहली बड़बोलापन छोड़िए और बल्ले से जवाब दीजिए, क्रिकेट खेल ही है लड़ाई का मैदान नहीं
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चार टेस्ट मैच की सीरीज में विराट कोहली ने पांच पारियों में केवल 46 रन बनाए

धर्मशाला टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया पर जीत के बाद भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने कहा कि कोई भी उन्हें उकसाएगा तो वे माकूल जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय टीम के खिलाडि़यों का स्लेजिंग पर पलटकर जवाब लोगों को हजम नहीं होता है। टीम इंडिया के कप्तान का यह बयान हाल ही में संपन्न हुई भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चार टेस्ट मैच की सीरीज में हुई स्लेजिंग और विवादों को लेकर था। इस सीरीज में स्लेजिंग का एक नया स्तर देखने को मिला। जिसमें कई मौकों पर भारतीयों ने कंगारूओं को उकसाया। एक दूसरे पर धोखाधड़ी करने और नियम तोड़ने के आरोप लगाए। इस दौरान दोनों टीमें एक दूसरे को बचाती नजर आई। भारत की ओर से इस तरह के विवादों में कप्तान विराट कोहली का नाम सबसे ऊपर रहा। वे बात-बात पर उलझते नजर आए।
इस पूरी सीरीज में कोहली बैरंग, निराश, बदला लेने पर उतारू और बड़बोले नजर आए। पुणे टेस्ट में हार के बाद से तो वे किसी क्लब क्रिकेटर की भांति व्यवहार करते दिखे। उन्होंने तीन टेस्ट मैच खेले और पांच पारियों में वे केवल 46 रन बनाए। इस सीरीज में उनका सर्वोच्च स्कोर रहा 15 रन। पुणे टेस्ट की पहली पारी में वे खाता भी नहीं खोल पाए। वहीं रांची टेस्ट में चोट के चलते धर्मशाला में खेले गए टेस्ट से बाहर हो गए। वे जुबानी जंग में ही उलझे रह गए और बल्ले से जवाब देने की कला को भूल गए।
बेंगलोर में जीतने के बाद कोहली ने ऑस्ट्रेलिया के स्पिनर नाथन लॉयन के बयान पर टिप्पणी करते हुए अपना गुस्सा जाहिर किया था। लॉयन ने कहा था कि सांप को मारने के लिए उसका सिर काट कर अलग कर दो। इस पर कोहली बोले कि वे खुश है कि विपक्षी टीम उन्हें निशाना बना रही है और बाकी खिलाडि़यों को भूल गई। वे सांप का सिर काटने जैसी बातें कर रहे हैं। यहां पर वे बड़ी बात भूल गए कि कप्तान वह होता है जो आगे बढ़कर नेतृत्व करता है। टीम को राह दिखाता है। खेल के बजाय लड़ने-झगड़ने को तवज्जो एक हारा हुआ और संकीर्ण मानसिकता वाला खिलाड़ी देता है।
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ऑस्ट्रेलिया के पूर्व बल्लेबाज मैथ्यू हेडन ने एक बार खेल में आक्रामकता को लेकर बयान दिया था। उनसे पूछा गया था कि आक्रामकता क्या होती है। तो उनका जवाब था, ”आप राहुल द्रविड़ की आंखों में देखिए, पता चल जाएगा कि आक्रामकता क्या होती है।” यह सबको पता है कि द्रविड़ की क्रिकेट में सबसे बड़े जैंटलमेन के रूप में होती है। जब एक ऑस्ट्रेलियाई उनके बारे में इस तरह का बयान दे तो पता चल जाता है कि बल्ले से जवाब देने वाले की कितनी इज्जत होती है। कोहली यह भूल जाते हैं कि अभी उनकी कप्तानी में भारत को ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका का दौरा करना बाकी है। उनकी अभी की जीत का महत्व तभी बढ़ेगा जब टीम इंडिया विदेश में जीतेगी।
इंग्लैंड के अपने पिछले दौरे में कोहली बुरी तरह से नाकाम रहे थे। पांच टेस्ट मैचों में वे 10 पारियों में 13.50 की औसत से 134 रन बना पाए थे। वे दो बार खाता नहीं खोल पाए थे और उनका सर्वाधिक स्कोर केवल 39 रन था। जब वे इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड में भी अपने बल्ले का जौहर दिखा पाएंगे तब दुनिया अपने आप उनका लोहा मान लेगा। इस मामले में वर्तमान में तो ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव स्मिथ उनसे कोसों दूर हैं। जिन्होंने अभी तक सर डॉन ब्रेडमैन के बाद सर्वाधिक औसत से रन बनाए हैं। वर्तमान सीरीज में भी उन्होंने तीन शतक बनाए और सबसे ज्यादा 499 रन बनाए।
स्मिथ का बड़प्पन इस बात में भी दिखा कि हारने के बावजूद उन्होंने अपनी टीम की ओर से हुई गलतियों के लिए माफी मांगी। उन्होंने कहा कि भावनाओं में बह जाने के कारण ऐसा हुआ लेकिन कोहली इतना बड़ा दिल नहीं दिखा पाए। उन्होंने कहा कि मैदान के बाहर ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर उनके दोस्त नहीं हो सकते। आधुनिक क्रिकेट के एक बड़े सितारे का ऐसा बयान इस खेल की भद्रता के भविष्य पर सवालिया निशान है। उन्हें अपने साथी अजिंक्य रहाणे से सीख लेना चाहिए। जिन्होंने मौखिक जंग लड़े बिना धर्मशाला टेस्ट में टीम इंडिया का नेतृत्व किया और आसान जीत दिला दी।
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