Delhi Politics And Opinion Of Manoj Tiwari: मनोज तिवारी ने दावा किया कि हिमाचल में तो आम आदमी पार्टी की कोई उम्मीद ही नहीं है और गुजरात में भी वह अपना खाता भर ही खोल पाएगी। कांग्रेस की पुरानी पेंशन योजना की बहाली की बात पर कहा कि इस क्षेत्र में नया सोचना व करना होगा जो भाजपा कर रही है। दिल्ली नगर निगम से लेकर हिमाचल व गुजरात के चुनावों पर हुई जनसत्ता बारादरी की इस बातचीत का संचालन कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज ने किया।
मुकेश भारद्वाज : दिल्ली में निगम चुनाव की शुरुआत कूड़े की बदबू पर आरोप-प्रत्यारोप से हुई है। चुनाव के कचरा-मुद्दे पर आप क्या कहते हैं?
मनोज तिवारी : काश, यह चर्चा बहुत पहले शुरू हो गई होती। जब 2017 का चुनाव लड़ रहे थे तब भी कूड़े की इतनी ही चर्चा थी। तब भी आम आदमी पार्टी का अस्त्र कूड़े का पहाड़ ही होता था। भाजपा कूड़े की बात से कभी भागती नहीं है, उसे छुपाती नहीं है, उस पर काम कर रही है। भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में कूड़े के 412 ढलाव घर खत्म किए। वहां पुस्तकालय और वरिष्ठ नागरिकों के बैठने की जगह बना रहे हैं। हर देश और शहर में कूड़े की पट्टी होती है। अहम यह है कि कचरा प्रबंधन कैसे किया जाता है। आज हम कूड़े से बिजली बना रहे हैं। सवाल आम आदमी पार्टी से होना चाहिए कि उसने क्या किया कूड़े के निस्तारण के लिए। हमारे छह ऐसे पत्र हैं उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद के तौर पर जिसमें हम भलस्वा में कचरे को लेकर बैठक चाहते थे। उन्होंने कभी बैठक के लिए समय नहीं दिया। उनका काम बस वित्त रोकना था जिसके कारण हमें दिल्ली नगर निगम का फिर से एकीकरण करना पड़ा जो विकास के लिए ऐतिहासिक कदम है।
पंकज रोहिला : दिल्ली में प्रदूषण को लेकर पड़ोसी राज्यों पर भी आरोप लग रहे हैं। आप भी पड़ोसी राज्यों को दोषी मानते हैं?
मनोज तिवारी : ’अपने लोगों को बचाने के लिए छोटा सा बजट खर्च करके पड़ोस से पराली ही खरीद सकते हैं। अब तो दोनों राज्यों में एक ही दल की सरकार है, इसके बाद भी उन्होंने इस साल भी कोई प्रयास नहीं किया। इस समय पंजाब के किसान मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान को घेरे हुए हैं। वहां बड़ा आंदोलन छिड़ा हुआ है किसानों का। प्रदूषण के लिए जिम्मेदार सिर्फ दिल्ली सरकार है। हरियाणा ने 80 फीसद पराली किसानों की खरीद ली। 20 फीसद का लक्ष्य है अगले साल का। अभी पर्यावरण मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की है कि अगर चार हजार जगहों पर पराली जल रही है तो लगभग तीन हजार पराली पंजाब में जल रही है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी सैकड़ों जगहों पर कूड़े को जलाकर प्रदर्शन कर रही है। तो सोचिए, प्रदूषण को लेकर कितनी गंभीर है वह। दिल्ली में जल भी प्रदूषित है। दिल्ली-एनसीआर में किसके मन में होता है कि परिवार के साथ यमुना नदी के किनारे घूमने जाएं। यमुना नदी को सिर्फ मवेशियों के नहाने की जगह बना दिया गया है। छठ जैसे लोकपर्व में जब आम लोग यमुना नदी से जुड़ना चाहते हैं तो प्रतिबंध लगा दिया जाता है। दिल्ली सरकार ने बस एक स्माग टावर लगाकर प्रदूषण पर दिखावा किया। दिल्ली में यह तभी सफल होगा जब चार सौ स्माग टावर लगाए जाएं। प्रकृति ही हमें बचा सकती है, दिल्ली सरकार ने तो आंखें मूंद रखी है।
सुशील राघव : दिल्ली नगर निगम में भाजपा 15 साल से शासन में है। बात करें आगामी निगम चुनाव की तो भाजपा अपनी किन उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जा रही है?
मनोज तिवारी : ’हमने पार्क बनाया, पार्क में झूले भी लगाए और उसमें खुली व्यायामशाला भी लगाई। पांच साल में हम लगभग 275 नए पार्क दे चुके हैं। भारत वंदना पार्क को देख कर कल्पना करना मुश्किल हो जाएगा कि हम दिल्ली में हैं या कहां हैं। अपने लोकसभा क्षेत्र में नाले के पानी से पार्क बनाया जहां विदेशी पक्षी आकर बैठते हैं। पांच सौ वर्गमीटर तक के नक्शे को आनलाइन कर दिया है। 2004 से दिल्ली में गृह-कर के बहुत से झगड़े चलते थे। प्रधानमंत्री ने 2004 से 2018 तक के सारे गृह-कर माफ कर दिए। तीन हजार चौबीस झुग्गी के लोगों को अपना फ्लैट दिया। उस बिल्डिंग को देख कर किसी का भी मन करेगा कि इसमें मेरा घर हो। ढलाव घर हटाकर घर-घर जाकर कूड़ा उठा रहे। अरविंद केजरीवाल की सरकार ने गली-गली में शराब की दुकान खोलने का फैसला लिया तो इसका सबसे मुखर विरोध भाजपा के पहले दिल्ली की गलियों से महिलाओं ने किया। हमने महिलाओं के गुस्से को समझा। हमने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया जिसमें पूरी दिल्ली के लोगों का साथ मिला। शराब के ठेकों को हटाने का हर तरीका खोजा। स्कूलों, देवालयों के सामने बने ठेकों को सील करवाया। फिर तो शराब घोटाला ही सामने आ गया। हम बनाने चले थे पार्क नगरी, ‘आप’ बनाने चली शराब नगरी।
मृणाल वल्लरी : इन दिनों मनोज तिवारी दिल्ली में सबसे सक्रिय चेहरा हैं। जनता से लेकर मीडिया तक के लिए उपलब्ध हैं। क्या दिल्ली की राजनीति में पार्टी आपके लिए नई भूमिका देख रही है?
मनोज तिवारी : 2013 में राजनीति में कदम रखते ही सोच लिया था कि यह काम उसी गंभीरता से करना है जैसे गायन और अभिनय करता था। मैं यह सोचता ही नहीं कि मुझे क्या-क्या जिम्मेदारी मिल रही है या क्या नहीं। जो प्रदेश अध्यक्ष हो जाए एक बार वह ये सब सोचे तो उसकी भूल है। मैं सब कुछ बहुत संजीदगी से ले रहा हूं। हमारी पार्टी जनप्रतिनिधियों पर पैनी नजर रखती है। कब वह किसके लिए क्या करती है यह सिर्फ काम पर निर्भर करता है।
महेश केजरीवाल : निगम चुनाव प्रचार गीत के अनुसार भाजपा का मतलब सेवा है। आपके अनुसार बाकी दल क्या करते हैं?
मनोज तिवारी : बाकी दलों का इतिहास सामने है। कोविड के समय आम आदमी पार्टी कहां थी? भाजपा तब भी सेवा में थी। जेपी नड्डा जी ने शुरू किया था कि सेवा ही संगठन है। कोविड में जिस तरह से भाजपा जुटी रही वह लोगों की सेवा को लेकर हमारा सबसे बड़ा प्रमाणपत्र है। और दल इसे लेकर झूठ बोलते रहे। कभी बोलते, हमारे पास आक्सीजन की कमी नहीं है, तो कभी बोलते हमारे पास आक्सीजन की कमी हो गई। सेवा के समय में उनकी लापरवाही याद रखी जाएगी।
मृणाल वल्लरी : आर्थिक रूप से कमजोर तबके के आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार के रुख की जीत के बाद क्या आपको लगता है कि सामाजिक न्याय के विमर्श में यह भाजपा के लिए पूरा खेल बदलने वाला मामला होगा?
मनोज तिवारी : इसके बाद निश्चित रूप से पार्टी के लिए सकारात्मक माहौल बनेगा।
विजय झा : अदालत ने यह भी टिप्पणी की है कि आरक्षण अनंत काल के लिए नहीं होना चाहिए। आप आरक्षण की समय-सीमा को लेकर क्या सोचते हैं?
मनोज तिवारी : हम यह बिलकुल मानते हैं कि आरक्षण अनंत काल तक नहीं होना चाहिए। लेकिन तब तक होना चाहिए जब तक हम इस समाज के हर व्यक्ति को एक समान सशक्त न कर दें। जो हमारे दीनदयाल उपाध्याय का उद्देश्य है, ‘अंत्योदय’।
सुशील राघव : अरविंद केजरीवाल ने भारतीय मुद्रा पर लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर लगाने की मांग कर दी। क्या आप भी इस मांग के साथ हैं? और क्या आपको लगता है कि आम आदमी पार्टी ने भाजपा के मुद्दे पर सेंध लगा दी है?
मनोज तिवारी : हमने तो इसका स्वागत किया। इसमें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन इसके लिए अरविंद केजरीवाल जी को शुरूआत करनी चाहिए थी कि जो दिवाली का विज्ञापन दिए थे, उसमें तो लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर लगा देते। आपने भाजपा के मुद्दे पर सेंध लगाने की बात की। तो जरा सोचिए, सेंध तो चोर ही लगाता है न। सेंध लगाना अच्छी बात तो है नहीं। हम कई बार सुनते हैं कि इन्होंने हिंदुत्व का कार्ड खेला। कार्ड क्यों खेलते हो हिंदुत्व से? मन में क्यों नहीं है हिंदुत्व? विचार में क्यों नहीं है हिंदुत्व? हमारा यह सोचना है कि आप केवल वाणी से ही नहीं कर्म से भी करो। लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर तो हम दुनिया के सारे प्रपत्र में देखना चाहते हैं। काशी गलियारा, उज्जैन महाकाल से लेकर चारधाम की यात्रा तक। हिंदुत्व के लिए काम देखिए कैसे होता है। हिंदुत्व आपके कर्म में दिखना चाहिए।

मुकेश भारद्वाज : आप भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य हैं। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव है। दोनों जगहों पर भाजपा के खिलाफ व्यवस्था विरोधी माहौल है। एक राज्य में ऐसा मुख्यमंत्री है जिसे कोई जानता तक नहीं, दूसरे राज्य में सरकार के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। दोनों जगहों पर आम आदमी पार्टी की मौजूदगी क्या भाजपा की स्थिति को नुकसान पहुंचा पाएगी?
मनोज तिवारी : मैं लगातार गुजरात जा रहा हूं, हिमाचल में संपर्क में हूं। हिमाचल प्रदेश में तो आम आदमी पार्टी की कोई उम्मीद नहीं है। गुजरात में इनकी लड़ाई सिर्फ एक-दो सीट पर खाता खोलने की है। अब वो खुलेगा कि नहीं, मैं इसका दावा तो नहीं कर सकता। हमारी जमीनी रिपोर्ट बताती है कि गुजरात में इन्हें एक-आध सीट मिल जाए तो वो भी इनके लिए बड़ी उपलब्धि होगी। सबसे अहम बात यह है कि आज के दिनों में पंजाब ने आम आदमी पार्टी की पोल खोल दी है। पंजाब के लोग जो कल तक आम आदमी पार्टी का प्रचार करते थे आज वही लोग उसके खिलाफ माहौल बनाने के लिए गुजरात और हिमालय जा रहे हैं। दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश है जिसका फायदा उठाते हुए आम आदमी पार्टी ने जनता के सामने कुछ भ्रम रच दिए। लेकिन, पंजाब का पूर्ण शासन इनका पर्दाफाश कर चुका है। मुझे नहीं लगता कि आम आदमी पार्टी को हिमाचल प्रदेश या गुजरात में कोई उपलब्धि मिलने वाली है।
पंकज रोहिला : दोनों राज्यों में कांग्रेस भी आपके मुकाबले में है। कांग्रेस की चुनौती को लेकर आपका क्या कहना है?
मनोज तिवारी : भाजपा का सर्वेक्षण बताता है कि गुजरात में हम पिछली बार के मुकाबले पच्चीस से तीस सीट ज्यादा लेकर आ रहे हैं। एक बात है कि आम आदमी पार्टी की तुलना में कांग्रेस मजबूत होती दिख रही है। आम आदमी पार्टी के लूट-झूठ और विज्ञापन की सरकार का पर्दा खुल गया है।
सूर्यनाथ सिंह : हिमाचल प्रदेश में पार्टी की बगावत को लेकर आपका क्या कहना है?
मनोज तिवारी : पार्टी की कुछ अंदरूनी बातें होती हैं। जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, वह सब वीडियो मैंने भी देखा है। कुछ लोग वीडियो की प्रामाणिकता पर भी संदेह जता रहे हैं। पार्टी सभी मुद्दों पर संवाद कर रही है, समाधान खोज रही है। चुनाव के समय में इस तरह की बातें सामने आती हैं और उसका समाधान भी होता है।
मृणाल वल्लरी : पिछले समय में राजनीति में बहुत कुछ बदला है। एक चीज जो बदली है वह जनता के प्रति जिम्मेदारी लेने की। गुजरात में मोरबी जैसा हादसा होता है और हम किसी भी जनप्रतिनिधि के नैतिक रूप से इस्तीफे को नहीं देखते हैं। चुनाव जनप्रतिनिधि के वादो-इरादों पर जीता जाता है तो जिम्मेदारी भी उनकी बननी चाहिए। आप क्या कहेंगे इस पर?
मनोज तिवारी : मोरबी की घटना बहुत दुखद है। मुख्यमंत्री तो मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री खुद दो से तीन दिन वहां एक प्रकार से शिविर लगा कर रहे। वे लोगों से लगातार मिलते रहे और उनके दुख में साथ खड़े रहे। मोरबी की घटना कैसे हुई, पुल कैसे टूटा इस पर बड़ी जांच हो रही है। हमने जांच शुरू कर दी है और आप भरोसा कीजिए कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा। जनप्रतिनिधि के भाव से हम कहीं भी भागते नहीं हैं।
पंकज रोहिला : चुनाव जीतने के लिए मुफ्त की योजनाएं आम आदमी पार्टी की पहली रणनीति रही है। दो राज्यों के चुनावों में ‘आप’ की मुफ्त योजनाओं की घोषणाएं कितनी कारगर होंगी?
मनोज तिवारी : इनकी कोई योजना मुफ्त है ही नहीं। पहले बिजली थी, तो अब कह दिया कि जिसे मुफ्त बिजली चाहिए वह बताए। मैंने अरविंद केजरीवाल से सवाल पूछा है कि 49 हजार करोड़ रुपए आपने बिजली के उपभोक्ताओं से पहले अतिरिक्त वसूल लिए। इनका मुफ्त देने का अब तक का अधिकतम खर्च दस हजार करोड़ का है। 49 हजार करोड़ लेना और दस हजार करोड़ देना, भई इसका हिसाब तो अरविंद केजरीवाल को देना चाहिए। जो जल बोर्ड छह सौ करोड़ रुपए प्रति वर्ष लाभ में होता था वह कर्ज में डूबा है।
महेश केजरीवाल : कांग्रेस पुरानी पेंशन योजना लागू करने को मुद्दा बना रही है। भाजपा इस मुद्दे पर क्या सोच रही है?
मनोज तिवारी : मेरा मानना है कि पेंशन की योजना को कांग्रेस ने कभी ठीक से समझने की कोशिश नहीं की। भाजपा ने तो उसके लिए भी पेंशन शुरू कर दी जो मजदूरी करता है। अटल पेंशन योजना भाजपा की देन है। हमने उनके लिए भी पेंशन शुरू कर दी जिनकी अपनी दुकान है। आप सरकारी स्तर पर ही सोचते रह गए जबकि हम तो हर अंतिम आदमी तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। हम ऐसी योजना पर काम कर रहे कि गांव में किसानी करने और छोटी परचून की दुकान खोलने पर भी 60 साल के बाद पेंशन के हकदार हों। यह दृष्टि कांग्रेस के जेहन में कभी नहीं आई। जब उन्हें करना था कुछ किया नहीं। अब कांग्रेस के कुछ कहने का कोई मतलब नहीं। उन्हें पता है कि उन्हें आना ही नहीं है तो कुछ भी बोल दो।
सुशील राघव : हिमाचल, गुजरात के चुनावों में महंगाई मुद्दा क्यों नहीं बन रही?
मनोज तिवारी : मुद्दा तो जनता बनाती है न। कई चीजें थोड़ी महंगी हुई है तो कई चीजें सस्ती भी हुई हैं। प्रधानमंत्री ने देश के लोगों से दलहन की पैदावार बढ़ाने का आह्वान किया था। आज हम दलहन में आयातक से निर्यातक देश बन गए हैं। आज भी हम तेल को लेकर दूसरे देशों पर निर्भर हैं। इसी देश में दस-बीस रुपए का कर डीजल-पेट्रोल से हटाया गया। प्रधानमंत्री महंगाई को लेकर चिंतित रहते हैं। इसके हर पहलू पर नजर रखते हैं। जमाखोरी को लेकर पूरी रिपोर्ट तलब करते हैं। अक्षय ऊर्जा को हम भविष्य के संदर्भ में सबसे सार्थक देख रहे हैं। आम आदमी न सिर्फ बिजली का उपभोग करेगा बल्कि बिजली से कमाएगा भी। सौर ऊर्जा से बिजली सस्ती होगी तो बहुत सी चीजें खुद-ब-खुद सस्ती होंगी। लोगों की जिंदगी आसान करने के लिए हमारी राह लंबी और सही है।
मुकेश भारद्वाज : कला क्षेत्र से आनेवाले अन्य लोग राजनीति के साथ कला को भी निभा लेते हैं। भारतीय राजनीति में इसके कई उदाहरण हैं। क्या आप भी संगीत व अभिनय में लौटेंगे?
मनोज तिवारी : राजनीति का मतलब पूर्णकालिक सेवा और समर्पण है। आज गाने पर इसलिए काम कर लेता हूं कि वह सिर्फ एक दिन लेता है, सिनेमा से दूर हूं क्योंकि पच्चीस दिन लेता है। अब तो राजनीति ही कर्मक्षेत्र है जहां पूरा समय दूंगा। जब जनता ने गंभीरता से स्वीकार्य किया है तो फिर क्या?