संवाद में शोर
आज यह बहस का मुद्दा है कि मीडिया की खत्म होती साख को पत्रकार कैसे बचा सकते हैं। तरह-तरह के उपाय सुझाए जा रहे...
तीरंदाज: सोच हवा है
बुद्धिजीवी किताबी कीड़े या पढ़े-लिखे अनपढ़ का दूसरा नाम नहीं है। अध्ययन, कल्पना और व्यावहारिक संरचना उसके रचनात्मक उद्देश्य हैं। जहां आज हम खड़े...
तीरंदाज: आगाज तो होता है…
अखबार की सुर्खियां ठंडी आह की मोहताज होती जा रही हैं। कोई कुछ कह रहा है तो कोई कुछ और। ऐसे में लोगों को...
तीरंदाज: एक अप्राप्य पोथी
वास्तव में यह पाठ्य पुस्तक विद्यार्थी को सनातन परिकल्पना की प्रारंभिक, पर जरूरी जानकारी देती है। यह सिर्फ विद्यार्थियों के लिए नहीं, बल्कि आम...
तीरंदाजः कैलेंडर और कील
कैलेंडर के बदलने से न भाग्य बदलता है और न स्वभाव। दोनों उस कील की तरह हैं, जिस पर कैलेंडर के पेज फड़फड़ा कर...
तीरंदाज: खाली तसला
जिंदगी चलाने के लिए ठेकेदार का मुरीद होना मेरे लिए एक मजबूरी जरूर है, पर इस तसले को अपने खालीपन की सार्थकता भी समझ...
तीरंदाज: बिस्कुट की खेती
उधर भोर की बेला में किसान उठा था। सिपाही हतप्रभ देखते ही रह गए थे और वह सीखचों को पार करता हुआ सड़क पर...
तीरंदाज: रहेंगे कहां!
मैं अब आश्वस्त था कि मेरे काम का कोई अंत नहीं था। मैं चिरंजीवी था। मेरे पिता का चेहरा मेरे सामने आकर कुछ देर...
तीरंदाज: पुरुषार्थी का पुरुषार्थ
मान्यवर मुस्कराए- दाढ़ी कर्म का नहीं, बल्कि मन का पुरुषार्थ है। मन चंगा तो कठौती में गंगा। अर्थात कुछ करो या न करो, कठौती...
तीरंदाज: इतिहास में गधे
हर तरफ से गधों की पुन: इतिहास लिखने की जुर्रत पर वार होने लगा था। पर गधे अड़ गए। पीपल वाले ने इन तत्त्वों...
तीरंदाज: ला बैल जिसे मैं मारूं
आज न्यूज टेलीविजन संयम खो चुका है। वह समाज को कुरेदने का यंत्र बन चुका है। हर चैनल पर ‘एंग्री यंग एंकर’ गुत्थमगुत्था करने...
तीरंदाज: लाडो खुश है
किसी किताब में हमने एक भव्य राजपूत राणा का चित्र देखा था, जिसमें वह अपनी टेढ़ी उंगली पर एक तोते को बैठाए हुए थे।...
तीरंदाजः लोकतंत्र में रामराज्य
अयोध्या में राममंदिर होने का मतलब रामराज्य की वास्तविकता को स्वीकार करना है। रामराज्य लोकतांत्रिक मूल्यों की पराकाष्ठा था। लोकतंत्र के मूल्यों की स्थापना...
तीरंदाज: अर्थ अनर्थ
हम चुप थे। वास्तव में, उन सज्जन पुरुष के तर्क हमारे हलक में जबरन घुस जुबान बाहर खींच लाए थे और उसमें गांठ मार...
तीरंदाज: लोकतंत्र में तानाशाही
हाल के दशकों में लोकतांत्रिक तानाशाहों ने अपने को वैश्विक मीडिया और नई तकनीक के अनुसार ढाल लिया है। अपनी उद्देश्य सिद्धि के लिए...
तीरंदाज: चौतरफा खतरे के बीच
भारत के पास आज सीमित विकल्प है। यह सच है कि चीन की उग्र साम्राज्यवाद के खिलाफ दुनिया के हर कोने से आवाजें उठ...
तीरंदाज: बहुत नर्क है
हमारी झोपड़पट्टी में जब किसी के पास कुछ बच जाता था तो हमें दे देता था। पर नागा तो करना ही पड़ता था, क्योंकि...
तीरंदाज: झूठ का बोलबाला
यह सच है कि झूठ की हमें लत लग गई है। हमारे प्राकृतिक पूर्वाग्रहों की वजह से यह ललक पैदा हुई थी और उसको...