सेंट्रल बोर्ड अॉफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) से पहले मीडिया को फिल्म पद्मावती दिखाए जाने पर बोर्ड के चेयरमैन प्रसून जोशी ने नाराजगी जताई है। जोशी ने कहा कि बोर्ड को फिल्म दिखाए जाने या सर्टिफिकेशन पाए बिना मीडिया के लिए स्क्रीनिंग रखना या नेशनल चैनल्स पर उसका रिव्यू देना निराशानजक है। यह सिस्टम और संतुलन की भूमिका से समझौता करता है जो एक कार्यशील उद्योग का हिस्सा हैं। जोशी ने कहा, ‘यह अपनी सुविधा के लिए लापरवाही से बोर्ड पर दबाव बनाने के लिए किया गया काम है। यह नियम कायदों की धज्जियां उड़ाने जैसा हैं जो अवसरवादिता की मिसाल है।’ जोशी ने कहा कि रिव्यू के लिए पद्मावती की एप्लिकेशन इसी हफ्ते आई है। निर्माताओं ने माना कि पेपरवर्क काम काम अभी पूरा नहीं हुआ है। फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर जो डिस्क्लेमर वाला कॉलम था वो भी खाली था। बोर्ड ने उन्हें जरूरी दस्तावेज जमा कराने को कहा था, लेकिन फिल्म पहले ही दिखा दी गई जिससे वो हैरान हैं।

फिल्म पद्मावती को लेकर करणी सेना देश भर में विरोध-प्रदर्शन कर रही है। शुक्रवार को राजस्थान के प्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ किले में प्रवेश बंद कर दिया गया था। वहीं मुंबई पुलिस ने फिल्म के विरोध के दौरान कानून को अपने हाथों में लेने वाले संगठनों और लोगों के खिलाफ चेतावनी भी जारी की है। विरोध के संकेत के रूप में सर्व समाज विरोध समिति ने शुक्रवार सुबह 10 बजे पदन पोल गेट के नाम से मशहूर गेट को बंद करके चित्तौड़गढ़ किले के प्रवेश बिंदु को बाधित कर दिया था। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि फिल्म ‘पद्मावती’ रिलीज न हो, क्योंकि इसमें विकृत ऐतिहासिक तथ्यों को दिखाया गया है।

यह फिल्म चित्तौड़गढ़ की रानी पद्मिनी या पद्मावती के जीवन पर आधारित है। यह फिल्म एक दिसंबर को रिलीज होनी है। अपनी फिल्म के खिलाफ व्यापक आलोचना के बाद, भंसाली ने इस मुद्दे पर कहा है कि यह फिल्म राजपूतों का सम्मान करती है और यह फिल्म ऐसी किसी भी चीज को नहीं दशार्ती, जो राजपूतों की भावनाओं को चोट पहुंचाए। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन को समाप्त करने से इंकार कर दिया है।