वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के बीच चल रहा विवाद बढ़ता ही जा रहा है। राजदीप ने शुक्रवार को एक ट्वीट के माध्यम से बीएचयू के कुलपति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो में शामिल होने का आरोप लगाया था। उन्होंने ट्वीट में लिखा था, ”हैरानी: बीएचयू के वीसी त्रिपाठी प्रधानमंत्री के राजनीतिक रोड शो में शामिल हुए। ये कहां आ गए हम।” जिसेक बाद वीसी ने इस आरोप को नकारते हुए कानूनी कार्रवाई की धमकी दे डाली। बाद में राजदीप ने अपनी गलती मानते हुए रविवार, 5 मार्च को एक और ट्वीट करते हुए लिखा कि लिखा कि, ”मोदी के रोड शो में बीएचयू के वीसी की तस्वीरें वास्तव में गलत निकली। उनसे माफी मांग रहा हूं और ट्वीट वापस ले रहा हूं।” राजदीप के माफी के बावजूद वीसी त्रिपाठी का गुस्सा शांत नहीं हुआ है।
सीएनएन नेटवर्क 18 को दिए इंटरव्यू के अनुसार वीसी त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री मोदी के रोड शो में उपस्थित होने के सारे आरोपों को नकारते हुए कहा कि, ” मैं उस दिन सारा कार्यक्रम अपने ऑफिस में बैठकर टीवी पर देख रहा था। मेरे रैली में उपस्थित होने के सारे आरोप मुझे और विश्वविद्यालय को बदनाम करने की साजिश है। अगर ये सिद्ध हो जाए कि मैं रोड शो में था तो मैं किसी भी सजा को भुगतने के लिए तैयार हूं। एक द्वेषपूर्ण पत्रकार (राजदीप) ने ट्विटर पर झूठ फैला कर इस विवाद की शुरूआत की। अगर वो कैंपस में दोबारा आए तो वो विधिवत पीटे जाएंगे। बिल्कुल पीटे जाएंगे। मैं बिल्कुल किसी को मेरे और विश्वविद्यालय के बारे में झूठ नहीं फैलाने दूंगा” इसके बाद जब उनसे संघ का आदमी होने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, ” ” मैं हूं आरएसएस का, मैं संघ से जुड़ा हूं और मुझे इस बात पर गर्व है। इससे किसी दूसरे को क्या मतलब है। अगर कोई संघ से जुड़ा है तो क्या ये कारण काफी है किसी को बड़े पद संभालने के अयोग्य मानने की। जब हमारे प्रधानमंत्री भी संघ के आदमी है तो क्या भगा दें उन्हें भी। संघ के आदमी राज्यपाल भी रहे हैं। अगर संघ से जुड़ा होना ही आधार है तो बड़ी मुश्किल होगी। अगर में संघ से जुड़ा रहकर प्रोफेसर रह सकता हूं तो इस विश्वविद्यालय का कुलपति भी बन सकता हूं।

